Tuesday, 23 January 2018

हम जीनगी सँ की चाहए छी / हम जिंदगी से क्या चाहते हैं

मेरी हिन्दी कविता हम ज़िन्दगी से क्या चाहते हैं का मैथिली में अनुवाद
हम जीनगी सँ की चाहए छी अनुवादकर्ता डॉ शिव कुमार
हिन्दी कविता भी आपके अवलोकानार्थ इसी कविता के साथ है
हम जीनगी सँ की चाहए छी
हम अपनहुँ किछु नहि जानए छी
हम जीनगी सँ की चाहए छी।
किछ करबाक अभिलाष लेने मन मे
अधखरुए अभिलाष मे जीबै छी।
बाट सँ हटि किछ काम करी
मन मे अबैत ओहि इच्छा कें
संस्कार नेह केर गीतक सँग
ओहि इच्छा के सुतवैत जाइ छी।
स्वर्णिम रौद सँ भरल व्योम
हमरा सोझा अछि
मनक बन्न अन्हरिया कोठली मे
तइयो हम सिकुड़ल जाइ छी।
चाहए छी विस्तार सिन्धु केर जिनगी मे
साँचहुँ मे कुइंयाक बेंग सन जीने जाए छी।
किछ कऽ लेबाक लिलसा रखने
किछ नहि कऽ पेबाक पच्छतावा लेने
एहि अजब पेशोपेश केर हालैत मे
अहिना जिनगी जीने जाएछी।
हम अपनहुँ नहि जानए छी
हम जिनगी सँ की चाहैत छी।


हम जिंदगी से क्या चाहते हैं
हम खुद नहीं जानते
हम जिंदगी से क्या चाहते हैं
कुछ कर गुजरने की चाहत मन में लिए
अधूरी चाहतों में जिए जाते हैं
उभरती हैं जब मन में
लीक से हटकर ,कुछ कर गुजरने की चाह
संस्कारों की लोरी दे कर
उस चाहत को सुलाए जाते हैं
सुनहली धुप से भरा आसमान सामने हैं
मन के बंद अँधेरे कमरे में सिमटे जाते हैं
चाहते हैं ज़िन्दगी में सागर सा विस्तार
हकीकत में कूप दादुर सा जिए जाते हैं
चाहते हैं ज़िन्दगी में दरिया सी रवानी
और अश्क आँखों में जज़्ब किये जाते हैं
चाहते हैं जीत लें ज़िन्दगी की दौड़
और बैसाखियों के सहारे चले जाते हैं
कुछ कर गुजरने की चाहत
कुछ न कर पाने की कसक
अजीब कशमकश में
ज़िंदगी जिए जाते हैं
हम खुद नहीं जानते
हम ज़िन्दगी से क्या चाहते हैं
My Hindi poem hum zindagi se kya chahte hain . translated into Mathilli byDr Sheo Kumar

मेरे हिंदी काव्य संग्रह पिघलते हिमखंड से कविता का मैथिली अनुवाद , मधुबन, उन्मुक्त, बन्दगी



अनुवाद
मधुबन
बुन्न बुन्न
नेहक अमिय सँ
जिनगीक घैल
भरैत छै।
स्मृतिक
बसात आ
नेहक फुहार सँ
बनैत छै
जिनगीक मधुबन।

मेरे हिंदी काव्य संग्रह पिघलते हिमखंड से कविता मधुबन का मैथिली अनुवाद

2. उन्मुक्त 

झरनाक कलकल
चिड़य कें चहकब
उन्मुक्त उड़ब
चानन सुवासित बसात
सौनक झींसी
यएह तऽ अछि
अहाँक हँसबाक
चिन्हास।
मोती जड़ित घरकेर
दुआर तऽ खोलू
ओढल मुस्की कें
आबो तऽ छोड़ू।
मेरे हिंदी काव्य संग्रह पिघलते हिमखंड से कविता उन्मुक्त का मैथिली अनुवाद

(बन्दगी)
अराधना

भावना कखनहुँ
मरैत नहि छै
भाव जीवित छै
तऽ जीनगी छै,
समय कें आँचर मे सहेजल
छिन छिन केर भाव
ईश्वरक अरधना छै।

मेरे हिंदी काव्य संग्रह पिघलते हिमखंड से कविता अराधना का मैथिली अनुवाद



पिघलैत हृतखण्ड।
मैथिली अनुवाद
अनुवादक डाॅ शिव कुमार प्रसाद। associate professor and HOD of Hindi. at HPS College, Nirmali

पिघलैत हृतखण्ड।
मैथिली अनुवाद
अनुवादक डाॅ शिव कुमार प्रसाद। associate professor and HOD of Hindi. at HPS College, Nirmali
दि. 23-01-2018