Tuesday, 22 January 2019

डोगरी में अनुदित मेरी हिंदी कविताएँ



डोगरी में अनुदित कविताएँ

मित्रों, आज मेरी २ हिंदी कविताओं का डोगरी अनुवाद मुझे प्रेषित किया है, मेरे फेसबुक मित्र सुरिंदर शर्मा, फॉण्टरनेर    ने/ गत माह चंडीगढ़ में मिले / मैंने यूं ही इच्छा व्यक्त की कि क्या वह मेरी कविताओं का डोगरी में अनुवाद कर देंगे, जिसे उन्होंने सहर्ष किया व् आज मुझे हस्तलिखित रूप से भेजा, जिसे मैं अभी अभी हिंदी फॉण्ट में टंकित किया/ प्रस्तुत हैं आप सब के अवलोकन के लिए/
विदित रहे कि इस से पूर्व आप एक हिंदी लघु कथा संग्रह का इंग्लिश में अनुवाद कर चुके हैं और इस  अनुदित पुस्तक 
MANTO IS ALIVE,  का लोकार्पण विश्व पुस्तक मेले, दिल्ली में ९ जनवरी को हुआ है/

बंजारा मन वंजारा मन
जदूं वंजारा मन
ज़िन्दगी दे कुसा
अन्जाने मोड़ ऊपर
मिले जन्दा ए
मन मर्जी दे साथी कन्नै 
चाहन्दा ऐ कदे नई
रुकै ए सफ़र 
ते एक एक पल बनी जा
एक युगा दा
ते सफ़र ईययाँ गे 
चलदा रवै 
युगें युगें तकर


 यह चाहत / ए चाह 
********
ए चाह मेरी ते तेरी
जे करिए ए शैल सुखना ए
नींदर नईं खुल्लै कदें भी मेरी
जे करिए ए सच ओए ता
नींदर नईं आवै अखें विच मेरी

 मूल रचना :रजनी छाबड़ा
अनुवाद: सुरिंदर शर्मा

Saturday, 12 January 2019

मनमौजी, बसंत, पक्षपात का मैथिली अनुवाद


किछु अनुदित मैथिली काव्य (मूल हिन्दी रजनी छाबड़ा) 'होने से न होने तक' से
मनमौजी
"बेपरवाह"
हमरा सँ कोन
जोर गुड्डी केर
चिड़ै हम सगर 
अकाश केर
सगर अकाश
अपन पाँखि सँ नापल
सूत गुड्डी केर
दोसराक हाथ छै
उड़ब अकाश
मुदा जड़ि धरती केर।
पृ०67


बसंत
"बसंत"
समय
जेहि घाॅ पर
मलहम लगौलक
मौसम आबि ओकरे
हरियाबैक
काम दोहरेलक
हमर पीड़ाक
आइद ने अन्त
सुखाएल घाॅकें
फेर सँ हरियाएब
अछि
हमर बसंत।


पृ०68
पक्षपात
"पुर्वाग्रह"
दोख लगतै ओकरा पर
पुर्वाग्रहक
जदी कनिको दुख
हमरा नहि देता
हमहुँ तऽ हुनकहि
एकगोट टुकड़ी छी
ओही रस्ताक एकटा बटोही
सुख दुखक छाह में
जतए सभ चलैत अछि
बिन छुअल रहि जाए
कहुँ
दुनियाक चलैन सँ
तऽ बदनामे ने हेताह
हमर भाग लिखनहार।
पृ०69
होने से न होने तक
रजनी छाबड़ा
अनुवाद
डा शिव कुमार प्रसाद
https://youtu.be/ENRgoanO5N4