मेरे प्रथम हिंदी काव्य संग्रह से कविता "संदली एह्सास ' का मैथिली में अनुसृजन डॉ शिव कुमार द्वारा / आप इससे पूर्व मेरे हिंदी काव्य संग्रह 'पिघलते हिमखंड ' का मैथिली में अनुवाद कर चुके हैं/ मैथिली मे अनुदित काव्य संग्रह का शीर्षक है ' पघलैत हिमखंड'
संदली एहसास)
चानन सनअनुभूति
बहार मे बहैत
पनिएल बसात मे अहाँ
कहाँ देखाए छी
पनिएल बसात मे अहाँ
कहाँ देखाए छी
बसात सँ सिनेह बरसाबएत
धरतीक छाती
नहि छू पबैत छी
धरतीक छाती
नहि छू पबैत छी
बिन छुअल छुअब सँ
अहाँ अपन हेबाक
चानन सन अनुभूति
करा देते छी।
अहाँ अपन हेबाक
चानन सन अनुभूति
करा देते छी।
रजनी छाबड़ा
अनुवाद
डा शिव कुमार।
अनुवाद
डा शिव कुमार।
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