Wednesday, 6 June 2018

(यादों की राख से) स्मृतिक छौर सँ


(यादों की राख से)
स्मृतिक छौर सँ
दफनाएल स्मृतिक छौर सँ
किएक चिनगी जकाँ
सुनैग उठएये
चर्चा कखनो किएक नए
हो अहाँक
जाएन कि अजाएन
फेन कोनो बहन्ने
कहाँ रुकए छै नोर*
(होने से न होने तक - - रजनी छाबड़ा )
अनुवाद
डा शिव कुमार

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