Saturday, 25 February 2017

THAT WAS YOUR INVITATION


Winds blowing from
That direction
Whenever reach me,
After striking your door
Halt over here

Sand smeared winds
Make me feel your touch.
In a single moment
And my mind turns fragrant.

I was hardly aware
That it was your ushering
For which I had longed
So many years.


TRANSLATED from EK RAAT DHOOP MEIN, Originally composed in Hindi by Rajendra  Joshi ji

Wednesday, 15 February 2017

POETRY OF Dr. AMARJEET KAUNKE

It gives me fathomless pleasure to share my views about poetry of Dr. Amarjeet Kaunke , a powerful signature in the literary world.
Dr. Kaunke is not only a reputed poet, but also a critic, editor and versatile translator, treading on the path of words since 1985.. I have been a voracious reader of his literary works since many years and his poems stir my mind.
He is visionary poet ad his poems cover a thematic variety. He covers diverse aspects of life: love, pangs of separation, love for environment, traditions, culture, complicacies of modern life, political and social scenario of the present world, deep association with his roots and emotional attachment with native land.
His poetic world is not confined to any particular theme and his poems are an expression of a human being, swaying in the ocean of reveries and with a will to survive. Perpetually interacting with life and the world, he is a distinguished poet. His poems are enriched with his straight forwardness, sensibility, lofty thoughts and deep perception.
He has more than a dozen literary works to his credit, out of which, I have translated several poems from ‘Smritiyaan Di Lalten’, ‘Yakeen’ and ‘Piyaas’
Rajni Chhabra
 Poetess, translator& Numerologist

Monday, 13 February 2017

GIFT

GIFT
What gift shall I give you
On your birthday, O! my beloved.

If I present to you
Blue sky
But blue sky
Seems too small for you.
Many such skies
Are lying confined
In your eyes

If  I present to you
Dazzling Sun
This also does not seem apt to me
Every morning, from your forehead
You remove and throw away one Sun
And again stick a Sun to your forehead

Then, what is Sun in front of you.


AN EXTRACT OF A POEM. FROM PANJABI POETRY BOOK SMARITIYAAN DEE LALTEIN ,COMPOSED BY Dr AMARJEET KAUNKE AND TRANSLATED INTO ENGLISH BY MYSELF, WITH HIS CONSENT.

RAJNI CHHABRA

हम कहाँ थे,हम कहाँ जा रहे हैं –

हम कहाँ थे,हम कहाँ जा रहे हैं – रजनी छाबड़ा


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हम कहाँ थे,हम कहाँ जा रहे हैं
रजनी छाबड़ा 
सुहाग के जोड़े,कुमकुम सने पग और
मेहँदी रचे हाथों से सजी संवरी दुल्हनिया
घोड़े पर सवार,सेहरे से सजे,
शाही शान से आते दुल्हे राजा
क्या ख्वाबों की बात हो जायेंगे
और चटक,जनक जननी के जज़्बात जायेंगे
अपने जिगर के टुकड़े को
निगाहों से दूर बसने देना
क्या उन्हें मनमानी का परमिट दे गया
और अभिभावक क्या
उनका जीवन साथी सुझाने में
इतने अक्षम हो गए कि
नयी पौध द्वारा,वैवाहिक जीवन से पहले ही
खुद को आजमाना ज़रूरी हो गया
रिश्ते न हुए,
हो गयी मिठाई
चख लो, भायी तो भायी
वरना ठुकराई
आदम और हव्वा की
वर्जित फल खाने की
कहानी का दोहरान
आधुनिक पीड़ी चढ़ती जायेगी
दिशाहीनता की एक और सोपान
मृगतृष्णा सी तलाश
भटकन की राह दिखती है
तन मन की बेताबी बढाती है
जीवंत विश्वास,संस्कार और परम्पराएँ
क्यों न हम यही आजमाई राह अपनाये
कानून की कलम से लिखा
लिव इन का फैसला
सर पर सवार होने न पाए
भारतीयता का परिवेश बदलने न पाए
हम भारतीय हैं, भारतीय रहेंगे
तपस्वनी धरा का यही औचित्य
सारी दुनिया को दिखलायें

ग्वालियर टाइम्स में २०१२ में प्रकाशित 
रजनी छाबड़ा 

Sunday, 12 February 2017

दिल के मौसम


दिल के मौसम



होती है कभी
फूलों मे
काँटों सी  चुभन
कभी काँटों मैं
फूल खिला करते हैं
बहार मैं वीराना
कभी वीराने मैं
बहार सा एहसास
यह दिल के मौसम
यूं,बेमौसम
बदला करते हैं



रजनी छाबड़ा

SENSATIONS/ অনুভূতি-অনুভব By SHYAMAL MAJUMDAR

SENSATIONS

Sensations never perish
As long as sensations are alive
We thrive.
Moment by moment
Treasurable reveries
Enfolded in lap of time
Are adulation of the Creator.

অনুভূতি-অনুভব
অনুভূতি-অনুভব কখনো মুছে যায় না
যতক্ষণ আমাদের সংবেদনশীলতা থাকে অক্ষুণ্ণ
এবং আমরা হই ঋদ্ধ।
প্রতিমুহূর্তের
আনন্দ- উচ্ছাস-পরমানন্দ
যা আমাদের স্রষ্টার মনোরঞ্জনের ব্যাপার মাত্র
সব সময়ের মোড়কে হয় আবদ্ধ।
My favourite poem from my e book MAIDEN STEP, translated by Shyamal kumar Majumder ji from Bangladesh

Friday, 10 February 2017

SATRANGEE PEENGH/'इन्द्रधनुष

कैनेडा से निकलने वाली पंजाबी पत्रिका 
" पंजाब टुडे " में हिंदी के चुनिंदा कवियों 
मोहन सपरा, सुशांत सुप्रिय, अलका सिन्हा, राजेन्द्र परदेसी, नीलिमा शर्मा, आरती तिवाड़ी व् राजवंत राज की कविताओं के साथ ही साथ मेरी हिंदी कविता 'इन्द्रधनुष ' का डॉ अमरजीत कौंके  द्वारा किया गया 
पंजाबीअनुवाद प्रकाशित....
शुक्रिया डॉ अमरजीत कौंके और पंजाब टुडे टीम...





 Heartiest thanx Dr Amarjeet Kaunke for this commendable effort and congrats to Panjab Today team. Congrats to all the poets who had the honour of getting their poems translated by your mighty pen



इन्द्रधनुष

मेरी
ज़िन्दगी के आकाश पे
इन्द्रधनुष   सा
उभरे तुम


नील गगन सा विस्तृत
तुम्हारा प्रेम
तन मन को पुलकित
हरा भरा  कर देता
खरे सोने सा सच्चा
तुम्हारा प्रेम
जीवन में  
खुशियों के
रंग भर  देता
तुम्हारे
स्नेह की
पीली ,सुनहली
धूप में 
नारंगी सपनों का
ताना बाना बुनते
संग तुम्हारे पाया
जीवन में 
प्रेम की लालिमा
सा विस्तार
इन्द्रधनुषी 
सपनो से
सजा
संवरा
अपना संसार

बाद
तुम्हारे
इन्द्रधनुष  के और
रंग खो गए
बस, बैंजनी विषाद
की छाया
दूनी है
बिन तेरे ,मेरी ज़िन्दगी
सूनी सूनी है


रजनी छाबड़ा

गर चाहत एक गुनाह है

गर चाहत
 एक गुनाह है
 तो क्यों झुकता है 
आसमान धरती पर
 क्यों घूमती  है
 धरती सूरज के गिर्द 

Thursday, 9 February 2017

Eternal Loneliness with Bangali translation File of SUBIR MAJUMDER

CONTENTS
1. Eternal Lonliness
2. Sensations
3. Wandering Cloud
4. Sufficient
5. Bird and Kite

ETERNAL LONLINESS

On the withered grass
Of orchard
She was
Sitting alone

And in front of her eyes
In her vision were
Blossom like kids
Giggling and playing

In the deserted corner
A stranger passed by
His eyes, abruptly
Met with her eyes.

Caged by traditions
Confined heart beats
Hesitant words
Mum lips
Downcast eyes
Something remained
Unheard, unushered.

The moment passed
Leaving behind
Vacuum in life.

knowing and still
Pretending to be ignorant
They parted
And could never
Meet again in life
Like two branches
Of thicket

Only pang of
Hurt heart was
Why you did not
Disclose your mind
At that instant only

She is lonely
Since epochs
He is forlorn
Since ages
And blossom like kids
kept giggling and playing.

RAJNI CHHABRA 




চিরন্তন নিঃসঙ্গতা
কবি রজনী ছাবরার ইটারনাল লোনলিনেস কবিতাটির ভাবানুবাদ।
অনুঃ সুবীর মজুমদার


বিবর্ণ ঘাসে ঢাকা
নির্জন প্রান্তর
বসে আছে নারী এক
স্মৃতিপটে তার
কতকিছু আসে ঘুরেফিরে
একদল শিশু যেন
খেলে হেলে দুলে।
নির্জন প্রান্তরে
একাকী পথিক
চলে হেঁটে।
দৃষ্টি বিনিময়
বাধা যেন তারা
কোনো এক অমোঘ নিয়মে।
হৃদয়ের দোলাচল
ধরিত্রী নিবদ্ধ দৃষ্টি
স্মৃতিপটে ফিরে আসা
কোনো এক কাহিনী মুহূর্ত।
সময় প্রবাহমান
পলি জমে
শূন্য জীবন
সবকিছু জেনে
তবু না বোঝার অভিনয়ে
তারা যায় চলে
দুজনে দুপথে
ফেরে না তো তারা
আর এ জীবনে।
হৃদয়ের আকুল অন্বেষণ
না বোঝার অভিনয়ে
ছিল কি কোনো ভ্রম!
কাহিনীশূন্য একাকী নারী
একা চলা হতাশ পুরুষ
শৈশব সারল্যে
একা একা খেলা করে
অনন্ত প্রাঙ্গণে।


Wandering Cloud
by Rajni Chabra
translated in Bengali by Subir Majumder.
ভবঘুরে মেঘ
সুবীর মজুমদার
এক ভবঘুরে মেঘ
এসে থেমেছিল
আমার উঠোন ‘পরে।
বৃষ্টিও কিছু ঝরিয়েছিল।
দিয়েছিল,স্নেহসিক্ত ছায়া
শান্তিময় অনুভূতি ।
ঈশ্বরই জানেন—
মেঘটা ভেসে গেল
কোন অজানায়?
সময় ভাসিয়ে নিল তাকে
ঝোড়ো বাতাসের মত।
এক তীব্র ব্যথা অনুভবে
ভাবনা আসে মনে
একমুঠো আকাশ
যদি যেত পাওয়া
পেতাম মেঘের ভালবাসা
রোদ ঝলসানো উঠোন ’পরে
বইত পূবের হাওয়া।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
রোদ ঝলসানো উঠোন ‘পরে
বইত পূবের হাওয়া। 25/10/2016
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

SUFFICIENT
A dream for
Hope deprived vision
A sigh for
Mum lips
A patch for
Torn heart
Suffice for
My existence
.RAJNI CHHABRA


পর্যাপ্ততা

আশাহীন চোখে
একটা স্বপ্ন
নির্বাক ঠোঁটে একটা দীর্ঘশ্বাস
ছিন্ন হৃদয়ের জন্য
একটা তালির সংস্থান
টিকে থাকার লড়াইয়ে
রাখবে পর্যাপ্ত অবদান।
SUBIR MAJUMDER




BIRD AND KITE

I am 

Master of my will.

How can a kite

Rival with me 


I measure

Expanse of sky

With my own wings


String of kite 

 Is held in others' hands

Flying in sky

Rooted on the Earth



By Rajni Chhabra translated by
Yaminun Nessa,


অসম প্রতিদ্বন্দ্বী
ইয়ামিনুন নেশা
আমি আমার ইচ্ছার অধীন
পাখনার বিস্তারে
খুঁজি আমি আকাশের সীমানা।
ঘুড়ি , সে কি আমার প্রতিদ্বন্দ্বী
আকাশে উড়ন্ত ঘুড়ি
সুতো যার অন্যের হাতে
উড়ে শুধু মাটির খেয়ালে।

3/11/2016



लोकतंत्र

लोकतंत्र

एक निर्वाचित सदस्य ने दूसरे से पूछा,"तुम्हे कितने वोट मिले? 'दूसरे ने फट से जवाब दिया,"मुझे वोट मिलते नहीं, मैं तो वोट ले लेता हूँ, वोट मांगना मैं हराम समझता हूँ"
यह कहता कहता, वह हँस रहा था.मालूम नहीं किस पर/ वोटरों पर ?चुनाव पर? लोकतंत्र पर ?
राजस्थानी  लघुकथा
लेखक:श्री लक्ष्मी नारायण रंगा
अनुवादिका :रजनी छाबड़ा .

WANDERING CLOUD/ ভবঘুরে মেঘ

Pleased to share with Bengali Translation of my poem in English WANDERING
CLOUD. Presented for you along with my Original Poem
Wandering Cloud
by Rajni Chabra
translated in Bengali by Subir Majumder.
ভবঘুরে মেঘ
সুবীর মজুমদার
এক ভবঘুরে মেঘ
এসে থেমেছিল
আমার উঠোন ‘পরে।
বৃষ্টিও কিছু ঝরিয়েছিল।
দিয়েছিল,স্নেহসিক্ত ছায়া
শান্তিময় অনুভূতি ।
ঈশ্বরই জানেন—
মেঘটা ভেসে গেল
কোন অজানায়?
সময় ভাসিয়ে নিল তাকে
ঝোড়ো বাতাসের মত।
এক তীব্র ব্যথা অনুভবে
ভাবনা আসে মনে
একমুঠো আকাশ
যদি যেত পাওয়া
পেতাম মেঘের ভালবাসা
রোদ ঝলসানো উঠোন ’পরে
বইত পূবের হাওয়া।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
রোদ ঝলসানো উঠোন ‘পরে
বইত পূবের হাওয়া। 25/10/2016
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
A Wandering Cloud
A wandering cloud
That had halted
In my courtyard
For a while
Showering
Protective affection
With its blissful shade
God only knows
Where had it been swayed
By merciless
Winds of Time.
A pang stirs my mind
Oh that I could own
A fistful sky
To grab that cloud
Instead of scorched courtyard
I would have breathed
Sandal smeared breeze
In my abode.
RAJNI CHHABRA

BIRD AND KITE

I am 

Master of my will.

How can a kite

Rival with me 


I measure

Expanse of sky

With my own wings


String of kite 

 Is held in others' hands

4. BIRD AND KITE

Flying in sky

Rooted on the Earth



By Rajni Chhabra translated by
Yaminun Nessa,


অসম প্রতিদ্বন্দ্বী
ইয়ামিনুন নেশা
আমি আমার ইচ্ছার অধীন
পাখনার বিস্তারে
খুঁজি আমি আকাশের সীমানা।
ঘুড়ি , সে কি আমার প্রতিদ্বন্দ্বী
আকাশে উড়ন্ত ঘুড়ি
সুতো যার অন্যের হাতে
উড়ে শুধু মাটির খেয়ালে।

3/11/2016

Wednesday, 8 February 2017

VIBGYOR

My favourite poem from ANTARA, A Hindi Poetry Book by Dr Sanjeev Kumar, translated by me into English with permission of the poet.

A vibgyor resides in my eyes

Your hope thrives in my breath

My arms hold dreamy days

Your aspiration betrays me.


Won't let you part with me

Once I meet you.

You are captivated

 In my verses

How will ever forget?


Sojourn my breath

Shed fragrance day and night

I got you

Got everything in life

This is my boon..


You inhabit my heart

My life is fragrant.

You radiate in my eyes

You are my diamond.


We will enjoy bliss of

A cheerful life always

If you are with me.

Let us move together

Holding hand in hand.


RAJNI CHHABRA










Monday, 6 February 2017

RECOGNITION



RECOGNITION
After getting acquainted
With our countenance
Why we glance in mirror
Mirror reflects an image of

Our physical identity
Where do we find Recognition of our
Mental embodiment

 Rajni Chhabra

স্বীকৃতি সুবীর মজুমদার
(A translated work of the poem RECOGNITION by Rajni Chhabra)
lআমার মুখশ্রী আমার অজানা নয়।
তবু বার বার আয়নায় মুখ দেখা।
সেটা তো শরীরেরই প্রতিচ্ছবি
কোন সে আয়না
যাতে পাব খুঁজে মনের রূপের স্বীকৃতি ।


2/11/2016

MY POST IN SAHITYAPEDIA


Sunday, 5 February 2017

MY POST IN SAHITYAPEDIA


MY POST IN SAHITYAPEDIA


WE WILL COME ONLY WHEN-----/ਅਸੀਂ ਤਦੋਂ ਆਂਵਾਂਗੇ


O! Tiny birds
Come to me.

I am holding on my palms
Grains for you.
For your beaks
I have some water.

Birds replied

No---no
No---no

I invited them
Come, sit on my shoulders
I want to understand
Your language
I want to converse with you
In your language
I want to know from you
What do you feel
About this world?


Birds replied

No---no
No---no


I asked
What happened?
What happened?
O! Tiny birds.


Birds got scared of me
Ran away
Then, spoke in their chirping language.

They asked me
Do you tell lies?


--Yes-----


You commit violence?
-----Yes-----


You eat our little mates
 Like potato and brinjal


Yes ---yes

Then, we will not come to you
We will come to you
Only when you
Become like birds
When you will become like us

Presently
You are a human-being
Very frightful.



A Panjabi poem ਅਸੀਂ ਤਦੋਂ ਆਂਵਾਂਗੇ,composed by Dr Amarjeet Kaunke and translated into English, by me, with his consent.

Rajni Chhabra






















ਅਸੀਂ ਤਦੋਂ ਆਂਵਾਂਗੇ 

Friday, 3 February 2017

प्रीत/LOVE

उमर गाळ दी एक सबद नीं सीख्यो बो जिको हो प्रीत पण फेर भी आखी-आखी रात फोरतो पसवाड़ा रोवतो अर कैंवतो काळजै रड़कै प्रीत ठाह नीं किंया सीख्यो !
LOVE
I spent my whole life
Could not learn one word ' Love'
Still, I keep on tossing in bed
Throughout sleepless night
And say that my mind teases.
Don't know how I learnt 'Love'




My favorite poem originally composed by Late Om Purohit Ji Kagad in Rajasthani and translated by me into English

RAJNI CHHABRA

राज़ है यह गहरा/ਭੇਦ ਇਹ ਗਹਿਰਾ

सपने किसी से पूछ कर नहीं आते
न ही सपनों पर किसी का पहरा
बिन पंखों के ही
कैसे पहुँचा देते है
सतरंगी दुनिया में
राज़ है यह गहरा


रजनी छाबड़ा 


ਭੇਦ ਇਹ ਗਹਿਰਾ 

ਸੁਪਨੇ ਕਿੱਸੇ ਤੋਂ ਪੁੱਛ ਕੇ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦੇ 
ਨ ਈ ਸੁਪਨਿਆਂ ਤੇ ਕਿਸੀ ਦਾ ਪਹਿਰਾ 
ਬਿਨਾ ਖੰਬਾ ਦੇ 
ਕਿਵੇਂ ਪਹੁੰਚਾ ਦਿਦੇ ਹਨ 
ਸਤਰੰਗੀ ਦੁਨੀਆਂ ਵਿੱਚ 
ਭੇਦ ਇਹ ਗਹਿਰਾ 

ਰਜਨੀ ਛਾਬੜਾ 

Thursday, 2 February 2017

यह चाहत/ ਇਹ ਚਾਹਤ

यह चाहत

यह चाहत मेरी तुम्हारी
ग़र यह हसीन सपना है
नींद खुले न कभी मेरी
गर यह हकीकत है
नींद कभी न आये मुझे

रजनी छाबड़ा 


ਇਹ ਚਾਹਤ 

ਇਹ ਚਾਹਤ ਤੇਰੀ ਮੇਰੀ 
ਜੇ ਇਹ ਸੋਹਣਾ ਸੁਪਨਾ ਹੈ'
ਨੀਂਦ ਖੁਲੇ ਨ ਕਦੇ ਮੇਰੀ 

ਜੇ ਇਹ ਹਕੀਕਤ ਹੈ
 ਨੀਂਦ ਕਦੇ ਨਾ ਆਵੇ ਮੈਨੂੰ 



सिर्फ़ अपना/ਸਿਰਫ ਆਪਣਾ

सिर्फ़ अपना

खुशियों पर अमूनन
ज़माने का पहरा होता है/

गम सिर्फ अपना होता है
जब बहुत गहरा होता है/


ਸਿਰਫ ਆਪਣਾ 

ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਤੇ ਅਕਸਰ 
ਜ਼ਮਾਨੇ ਦਾ ਪਹਿਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ  

ਗਮ ਸਿਰਫ ਆਪਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ  
ਜਦੋਂ ਬੋਹੜ ਗਹਿਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ 

ਰਜਨੀ ਛਾਬੜਾ  

एक ही पल में /ਇਕ ਹੀ ਪਲ ਵਿਚ

एक ही पल में 

उम्र भर का साथ
निभ जाता है कभी
एक ही पल में 
बुलबुले में 
उभरने वाले
अक्स की उम्र
होती है फ़कत
एक ही पल की

रजनी छाबड़ा 







ਇਕ ਹੀ ਪਲ ਵਿਚ 

ਸਾਰੀ ਉਮਰ ਦਾ ਸਾਥ 
ਨਿਭ ਜਾਉਂਦਾ ਹੇ 
ਕਦੇ ਇਕ ਹੀ ਪਲ ਵਿਚ 

ਬੁਲਬਲੇ ਵਿਚ
ਉਬਰਨ ਵਾਲੇ 
ਅਕਸ ਦੀ ਉਮਰ 
ਹੁੰਦੀ ਹੇ ਬਸ 
ਇਕ ਹੀ ਪਲ ਦੀ 

ਰਜਨੀ ਛਾਬੜਾ  

ਬੋਹਤ ਫਰਕ /बहुत फर्क





ਬੋਹਤ ਫਰਕ 

ਬੋਹਤ ਫਰਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ 
ਸਾਹ ਲੈਣ 
ਅਤੇ ਜੀਉਣ ਚ 


ਬੋਹਤ ਫਰਕ  ਹੁੰਦਾ ਹੈ 
ਹੰਜੂਆ ਨੂੰ ਰਵਾਨੀ ਦੇਣ
 ਅਤੇ ਹੰਜੂਆ ਨੂੰ ਪੀਣ ਚ 
(ਪੰਜਾਬੀ ਵਿਚ ਲਿਖੀ ਮੇਰੀ ਪਹਿਲੀ ਕਵਿਤਾ )
ਰਜਨੀ ਛਾਬੜਾ 


बहुत फर्क है 
साँस लेने में 
और जीने में 

बहुत फर्क है 
अश्कों को रवानी देने 
और अश्क पीने में 


रजनी छाबड़ा 

Wednesday, 1 February 2017

BIRD AND KITE ( WITH BENGALI TRANSLATION)



BIRD AND KITE

I am 

Master of my will.

How can a kite

Rival with me 


I measure

Expanse of sky

With my own wings


String of kite 

 Is held in others' hands

Flying in sky

Rooted on the Earth



By Rajni Chhabra translated by
Yaminun Nessa,


অসম প্রতিদ্বন্দ্বী
ইয়ামিনুন নেশা
আমি আমার ইচ্ছার অধীন
পাখনার বিস্তারে
খুঁজি আমি আকাশের সীমানা।
ঘুড়ি , সে কি আমার প্রতিদ্বন্দ্বী
আকাশে উড়ন্ত ঘুড়ি
সুতো যার অন্যের হাতে
উড়ে শুধু মাটির খেয়ালে।

3/11/2016